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महाराणा प्रताप और चेतक के विषय में कुछ बातें Maharana Pratap and Chetak in Hindi Maharana Pratap and Chetak,

चेतक महाराणा प्रताप का सबसे प्यारा और प्रसिद्ध घोडा था। उसने हल्धि घटी के युद्ध के दौरान अपने प्राणों को खो कर बुद्धिमानी, निडरता, स्वामिभक्ति और वीरता का परिचय दिया। चेतक की वह बात भी बहुत यादगार है जिसमे उसने मुगलों को पीछे आते देख महाराणा प्रताप की रक्षा करने के लिए बरसाती नाले को लांघते समय वीरगति की प्राप्ति हुई। महाराणा प्रताप के जीवन की कुछ अन्य मुख्य घटनाएँ (Some other Incident in Maharana Pratap’s Life in Hindi) महाराणा प्रताप और अकबर सन 1579-1585 तक पूर्व उत्तर प्रदेश, बंगाल, बिहार और गुजरात के मुग़ल अधिकृत प्रदेशो में विद्रोह होने लगे थे और दूसरी तरफ वीर महाराणा प्रताप भी एक के पश्चात एक गढ़ जीतते जा रहे थे और राजा अकबर भी इसके कारण पीछे हटते जा रहे थे और धीरे-धीरे मेवाडों पर मुगलों का दवाव हल्का पड़ता चले गया। मुगलों को दबते देख सन 1585 में महाराणा प्रताप नें अपने प्रयत्नों को और भी सफल बनाया जब उन्होंने तुरंत ही आक्रमण कर उदयपूर के साथ-साथ 36 महत्वपूर्ण स्थान पर फिर से अपना अधिकार स्थापित कर लिया । महाराणा प्रताप की मृत्यु कैसे हुई उसके बाद महाराणा प्...

महाराणा प्रताप का इतिहास Maharana Pratap History in Hindi

उनका पूरा नाम महाराणा प्रताप सिंह है। उनका जन्म स्थान कुम्भलगढ़ दुर्ग में 9 मई 1540 को पिता राणा उदय सिंह और माता महाराणी जयवंता कँवर के घर में हुआ। उन्होंने अपने जीवन काल में कुल 11 शादियाँ की थी। महाराणा प्रताप के सभी 11 पत्नियों के नाम (Maharana Pratap’s all 11 Wife Names in Hindi)- महारानी अज्बदे पुनवर, अमर्बाई राठौर, रत्नावातिबाई परमार, जसोबाई चौहान, फूल बाई राठौर, शाहमतिबाई हाडा, चम्पाबाई झाती, खीचर आशा बाई, अलाम्देबाई चौहान, लखाबाई, सोलान्खिनिपुर बाई। महाराणा प्रताप के  सभी 17 पुत्र के नाम (Maharana Pratap’s all 17 Son Names) अमर सिंह, भगवन दास, शेख सिंह, कुंवर दुर्जन सिंह, कुंवर राम सिंह, कुंवर रैभाना सिंह, चंदा सिंह, कुंवर हाथी सिंह, कुंवर नाथा सिंह, कुंवर कचरा सिंह, कुंवर कल्यान दास, सहस मॉल, कुंवर जसवंत सिंह, कुंवर पूरन मॉल, कुंवर गोपाल, कुंवर सनवाल दास सिंह, कुंवर माल सिंह। महाराणा प्रताप की कहानी (Maharana Pratap Story in Hindi) महाराणा प्रताप उदयपुर, मेवाड में शिशोदिया राजवंश के राजा थे। उनकी वीरता और दृढ़ संकल्प के कारण उनका नाम  इतिहास के पन्...

मुग़ल शासक हुमायूँ का इतिहास | King Humayun History In Hindi

मुग़ल शासक हुमायूँ का इतिहास / King Humayun History In Hindi हुमायूँ दुसरे मुग़ल शासक थे जिन्होंने उस समय आज के अफगानिस्तान, पकिस्तान और उत्तरी भारत के कुछ भागो पर 1531-1540 तक और फिर दोबारा 1555-1556 तक शासन किया था. उनके पिता बाबर की ही तरह उन्होंने भी अपने साम्राज्य को जल्द ही खो दिया था लेकिन बाद में पर्शिया के सफविद राजवंशियो की सहायता से पुनः हासिल कर लिया था. 1556 में उनकी मृत्यु के समय, मुग़ल साम्राज्य तक़रीबन दस लाख किलोमीटर तक फैला हुआ था. हुमायूँ दिसम्बर 1530 में अपने पिता बाबर के उत्तराधिकारी बने. 23 साल की उम्र में हुमायूँ उनके पिता के साम्राज्य पर शासन करने लगे थे, उस समय उनको ज्यादा अनुभव तो नही था लेकिन उनकी सैन्य शक्ति से सभी परिचित थे. उनके चुलत भाई कामरान मिर्ज़ा ने अनुवांशिक रूप से काबुल और लाहौर को हथिया लिया था और साथ ही अपने पिता के उत्तरी भागो को भी हथिया लिया था. मिर्ज़ा, हुमायूँ के सबसे बड़े प्रतिस्पर्धी साबित हुए थे. हुमायूँ ने बाद में पश्तून से भी शेर शाह सूरी से हारकर अपने अधिकार को खो दिया था लेकिन बाद में पर्शियन की सहायता से उन्होंने उसे दोब...

जहाँगीर का इतिहास | Jahangir History In Hindi

प्रिंस सलीम को उनकी पिता की मृत्यु के आठ दिन बाद ही सिंहासन सौपा गया और वहा उन्हें “नुरुद्दीन मुहम्मद जहाँगीर बादशाह घज़ी” का नाम भी दिया गया. और 36 साल की उम्र में उन्होंने अपने 22 साल के शासनकाल की शुरुवात की. जहाँगीर की जीवनी – Jahangir History In Hindi नुरुद्दीन मोहम्मद सलीम जो उनके साम्राज्य जहाँगीर / Jahangir “दुनिया जितने वाला” के नाम से जाने जाते थे. जहाँगीर चौथे मुघल सम्राट थे जिन्होंने सन 1605 से उनकी मृत्यु 1627 तक शासन किया. उन्हें भारतीय इतिहास में भारत के महान सम्राटो में से एक और मुघल के चौथे महान शक्तिशाली सम्राट कहा जाता है. उनके नाम के आगे बहोत सारा प्रेमभाव भी जुदा हुआ है, उनके बारे में एक कहानी है की उनका मुघल रखैल, अनारकली के साथ अवैध संबंध था, उनके इस रिश्ते को इतिहास में, साहित्यों में और भारतीय सिनेमा में बड़े ही अच्छे तरीके से बताया गया है. जहाँगीर मुघल सम्राट अकबर / Akbar  (Son Of Akbar) के सबसे बड़े बेटे थे और कम उम्र में ही वे अपनी पिता की चुनौतियों पर खरे साबित हुए थे. अपनी ताकत के प्रति उत्सुक होकर उन्होंने 1599 में जब अकबर ड...

औरंगज़ेब का इतिहास | Aurangzeb History in Hindi

पूरा नाम    – अबुल मुजफ्फर मुहीउद्दीन औरंगजेब आलमगीर. Aurangzeb – Alamgir जन्मस्थान  – दाहोद (गुजरात) पिता        – शाहजहां माता         – मूमताज महल विवाह       – बेगम नवाब बाई, औरंगाबादी महल, उदयपुरी महल, झैनाबदी महल औरंगजेब का इतिहास – Aurangzeb History in Hindi औरंगजेब का जन्म गुजरात के दाहोद गाव में हुआ। शाह जहाँ  और मूमताज महल के वो तीसरे बेटे थे। 26 फेब्रुअरी 1628 में जब शाहजहा ने लिखित तौर पर ये बताया की औरंगजेब ही उनके तख़्त के काबिल है। इसके बाद औरंगजेब को बाहर युद्ध विद्या सिखने भेजा गया, और युद्ध कला में निपुण होने के बाद वे फिर से अपने परिवार के साथ रहने लगे। शाह जहाँ जब बूढ़े होकर बीमार हो गये तो औरंगजेब – Aurangzeb ने उन्हें कैद में डाला। कुछ इतिहासकरों का ऐसा कहना है की – शाह जहाँ ताजमहल पर पूरा मुग़ल ख़जाना खर्च कर रहें थे इसीलिए उन्हें कैद में डाला गया। शाहजहां की मौत कैदखाने में हुई। इस तरह वे हिन्दुस्तान के एकछत्र सम्राट बन गये। औरंगजेब के पूर्वज अकब...

Akbar History in Hindi – जलाल उद्दीन मोहम्मद अकबर इतिहास

Jalaluddin Muhammad Akbar – जलाल उद्दीन अकबर जो साधारणतः अकबर और फिर बाद में अकबर एक महान के नाम से जाने जाते थे, वे 1556 से उनकी मृत्यु तक मुघल साम्राज्य के शासक थे। वे भारत के तीसरे और मुघल के पहले सम्राट थे। जलाल उद्दीन मोहम्मद अकबर जीवनी – Akbar history in Hindi पूरा नाम  – अबुल-फतह जलाल उद्दीन मुहम्मद अकबर जन्म      – 15 अक्तुबर, 1542 जन्मस्थान  – अमरकोट पिता Father of Akbar –   हुमांयू माता    –  नवाब हमीदा बानो बेगम साहिबा शिक्षा   –  अल्पशिक्षित होने के बावजूद सैन्य विद्या में अत्यंत प्रवीण थे। विवाह Wives of Akbar  – रुकैया बेगम सहिबा, सलीमा सुल्तान बेगम सहिबा, मारियाम उज़-ज़मानि बेगम सहिबा, जोधाबाई राजपूत। संतान Son of Akbar  – जहाँगीर , अकबर  प्रारंभिक जीवन – History of King Akbar अकबर हुमायु के बेटे थे, जिन्होंने पहले से ही मुघल साम्राज्य का भारत में विस्तार कर रखा था। 1539-40 में चौसा और कन्नौज में होने वाले शेर शाह सूरी से युद्ध में पराजित होने के बाद मुघल सम्राट हुमाय...

रसखान | Raskhan

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रसखान | Raskhan रसखान का जन्म सन् 1548 में हुआ माना जाता है। उनका मूल नाम सैयद इब्राहिम था और वे दिल्ली के आस-पास के रहने वाले थे। कृष्ण-भक्ति ने उन्हें ऐसा मुग्ध कर दिया कि गोस्वामी विट्ठलनाथ से दीक्षा ली और ब्रजभूमि में जा बसे। सन् 1628 के लगभग उनकी मृत्यु हुई। सुजान रसखान और प्रेमवाटिका उनकी उपलब्ध कृतियाँ हैं। रसखान रचनावली के नाम से उनकी रचनाओं का संग्रह मिलता है। प्रमुख कृष्णभक्त कवि रसखान की अनुरक्ति न केवल कृष्ण के प्रति प्रकट हुई है बल्कि कृष्ण-भूमि के प्रति भी उनका अनन्य अनुराग व्यक्त हुआ है। उनके काव्य में कृष्ण की रूप-माधुरी, ब्रज-महिमा, राधा-कृष्ण की प्रेम-लीलाओं का मनोहर वर्णन मिलता है। वे अपनी प्रेम की तन्मयता, भाव-विह्नलता और आसक्ति के उल्लास के लिए जितने प्रसिद्ध हैं उतने ही अपनी भाषा की मार्मिकता, शब्द-चयन तथा व्यंजक शैली के लिए। उनके यहाँ ब्रजभाषा का अत्यंत सरस और मनोरम प्रयोग मिलता है, जिसमें ज़रा भी शब्दाडंबर नहीं है। Author's Collection Total Number Of Record :3 दोहे | रसखान के दोहे प्रेम प्रेम सब कोउ कहत, प्रेम न जानत कोइ। ...